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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 | श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पौराणिक कथा | जन्माष्टमी तिथि और मुहूर्त

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 (Krishna Janmashtami 2025) भारत में सबसे धूम धाम से मनाने वाला एक हिन्दू त्यौहार है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था. जो एक ऐतिहासिक क्षण था. भगवान विष्णु ने कुल 9 अवतार लिए है. यानि भगवान विष्णू ने पृथ्वी पर अभी तक 9 बार जन्म लिए है. जिसके आज भी ऐतिहासिक और धार्मिक सबुत मिलते है. इनमे से 8 वा अवतार भगवान श्रीकृष्ण है.

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतार कार्य में बहुत से लीलाये की है. जिसको आज भी बड़े प्रेम से सूना जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म अत्याचार से मुक्ति और धर्म की रक्षा करने के लिए हुआ था.

भगवान श्री कृष्ण अधर्म के विरुद्ध धर्म का साथ देते है

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 (Krishna Janmashtami 2025) का दिन इसलिए धूम धाम से मनाया जाता है. श्रीकृष्ण जन्म कंस द्वारा बढ़ते पापो को समाप्त करने के लिए श्री कृष्ण धरतीपर आये थे. हालांकि उन्होंने अपने इस जन्म में बहोत से कार्य किये है. भारत की मुख्य धार्मिक ऐतिहासिक कथा महाभारत का भगवान श्रीकृष्ण महत्व पूर्ण हिस्सा रहे है. महाभारत की कहानी धर्म और अधर्म पर आधारित है. जहा भगवान श्री कृष्ण अधर्म के विरुद्ध धर्म का साथ देते है. और सामान्य इंसान को अधर्म और अत्याचार के विरुद्ध खड़ा होने के लिए उसका मनोबल बढ़ाते है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 कब है ? त्यौहार तिथि और मुहूर्त

गुरुवार 01 जनवरी 1970

मुर्हुत
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM
तिथि
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM तक
राहुकाल
12:00 AM से 12:00 AM
यमघंट काल
12:00 AM से 12:00 AM

महाभारत की वो कहानी जो विश्व के लिए सिख बन गयी

हस्तिनापुर में पांडव कौरव के साथ द्युत खेलते है. जहा चल कपटसे पांडवों को हराया जाता है. कौरव द्वारा पांडव बहुत ही अपमानित होते है. हस्तिनापुर की भरी सभा में पाँडवों की पट्ट रानी द्रोपदी का वस्त्र हरण करने की कोशिश करते है. कौरवो द्वारा अन्याय, अधर्म और अत्याचार की पराकाष्टा होने पर भारत के इतिहास में यह घनघोर युद्ध होने जा रहा था.

उसी दौरान पांडव पुत्र अर्जुन अपने ही भाई और रिश्तेदारों को. उनके विरुद्ध शस्त्र उठाये खड़ा देख अपना आत्मबल खो बैठता है. और उनसे युद्ध करने से साफ मना करता है. जहा भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता पाठ पढ़ाते है. कर्म और अधर्म की बाते बताते है. और अर्जुन का मनोबल बढ़ाते है. आज भी भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कहे गए, गीता श्लोक पुरे विश्व में अभ्यास का विषय बन चुके है. भारत सहित दुनिया में कई विश्व विद्यालयो मे गीता श्लोक के पाठ पढ़ाये जाते है.

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता में अपना परिचय कराते है

गीता में कुल 700 श्लोक है. उनमे से एक श्लोक में, भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को अपना परिचय कराते है. और उनका विकराल रूप दिखाते है. भगवान श्रीकृष्ण कहते है, “में ही विश्व हु. में ही सर्वेश्वर हु. में ही इस सृष्टि का पालनहार हु”. आगे, जन्म, कर्म, मृत्य और आत्मा के बारे में अर्जुन को ज्ञान करवाते है. और कहते है, “अगर जीवन के कष्टों से मुक्ति चाहते हो, जन्म मृत्य के फेरे से बचना चाहते हो, तो सिर्फ मेरा नाम लेने से यह संभव है.

वो मुझे सबसे अधिक प्रिय है, जो…

जो भी प्रेम पूर्वक मुझ पर श्रद्धा रखता है. मुझ से प्रेम करता है. वो मुझे सबसे अधिक प्रिय है. मैं उनका कष्ट अवश्य दूर करता हु.” इसलिए आज तक हर युग में भगवान श्री कृष्ण पर उनके भक्त प्रेम करते है. “हरे कृष्णा || हरे राम ||” “गोपाल कृष्णा || गोविंद कृष्णा ||” “राधे कृष्ण || गोपाल कृष्ण” ऐसे कई नाम से अपने प्रभु श्री कृष्ण का नाम लेकर प्रभु का भजन करते है.

द्वारका जहा भगवान श्रीकृष्ण रहा करते थे. वहा आज भी उनके होने के कई सबुत मिलते है. द्वारका के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी के लिए विशेष पक्वान्न भोग, सहित रात्रि की व्यवस्था की जाती है. जहा रात्रि के समय मंदिर को ताला लगाया जाता है. सुबह मंदिर का ताला खोलते ही भगवान श्री कृष्ण के उपस्थिति के कई अनगिनत सबुत मिलते है.

कब मनाया जाता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ?

भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव को गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्री में श्री कृष्ण जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का दिन श्री कृष्ण जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर के उपवास रखा जाता है.

भगवान श्री कृष्ण का बचपन

भगवान श्री कृष्ण बचपन में मथुरा में गवालों के बिच पले बड़े. जहा ज्यादा तर लोग गाय पालते थे. माँ यशोदा और पिता नंदलाल ने श्री कृष्ण को जन्म तो नहीं दिया. लेकिन उन्होंने बचपन में उहे संभाला. जब वे छोटे थे तब, अपने अड़ोस पड़ोस के घर में मटकी तोड़कर माखन चुराकर खाया करते थे. यह भगवान श्री कृष्ण के बचपन के लीलाओंका एक हिस्सा था. इसके रूप में भारत के कई राज्यों में आज भी गोकुलाष्टमी, यानि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 के दिन माखन भरी मटकी बच्चों द्वारा तोड़ी जाती है. कई जगह इसे खेल के रूप में देखा जाता है.

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