ग्रह परिचय : मांगलिक दोष  (manglik dosh) मंगल के इन्ही दोषों से बनता है

ग्रह परिचय : मांगलिक दोष (manglik dosh) मंगल के इन्ही दोषों से बनता है

मंगल ग्रह का स्थान नौ ग्रहों में सेनापति का है, आज मंगल ग्रह के साथ साथ मांगलिक दोष (Manglik Dosh) क्या है, यह भी जानेंगे, मांगलिक (Manglik) दोष होना यह कोई खराबी नहीं है, सिक्केका दुसरा पहलू यह है, मांगलिक होना अच्छी बात है. एक सैनिक की तरह मंगल हमेशा लड़ने के लिए तैयार होते है. मंगल के शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव मिलते है. मंगल मकर राशि में उच्च तो कर्क राशि में नीच के होते है, मगल मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी है, मंगल के गुण होने के बावजूद मेष और वृश्चिक इन दो राशियों में अपने में अलग गुण पाए जाते है.

मंगल ग्रह के कारकत्व :

ज्योतिष गणना के अनुसार मंगल का गोचर एक राशि में क़रीब डेढ़ माह का होता है, मंगल का रंग लाल भूरा है, मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, पराक्रम, शौर्य आदि का कारक होता है. अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल शुभ है तो जातक के उपरोक्त चीज़ों में हमेशा वृद्धि होती है.
साथ ही मंगल ग्रह मस्तक, नाभि, रक्त, लाल रंग, बंधु, फौजी, डॉक्टर वैध, हक़ीम, , मनुष्य के ऊपर वाला होंठ का प्रतिनिधित्व करता है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमज़ोर हो तो इसके प्रभाव से रक्त से संबंधित रोग, नासूर, भगंदर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं.

मंगल के अधिकार क्षेत्र :

मंगल ग्रह का संबंध सेना, पुलिस, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधी, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स आदि कार्य-क्षेत्रों से है. जबकि उत्पाद में यह मसूर दाल, ज़मीन, इलेक्ट्रॉनिक, अचल संपत्ति, उत्पाद आदि को दर्शाता है. जबकि मेमना, बंदर, भेड़, शेर, भेड़िया, कुत्ता,
सूअर, चमगादड़ एवं सभी लाल पक्षियों का संबंध मंगल ग्रह से है. इसके अलावा रोगों में मंगल ग्रह का संबंध विषजनित, रक्त संबंधी रोग, कुष्ठ, ख़ुजली, रक्तचाप, अल्सर, ट्यूमर, कैंसर, फोड़े-फुंसी आदि से होता है.

मंगल का स्वभाव :

ग़ुस्सा और बदले की भावना मंगल का स्वभाव है. मंगल प्रभाव वाले व्यक्ति पराक्रमी, साहसी, शत्रु पर विजय पाने वाला, राजा की सुरक्षा करने वाला, बिना सोचे पहले कृति करने वाला, पापी और निर्दयी स्वभाव वाला, मंगल का स्वभाव है, यह सारे गुण जातक की कुंडली में मंगल के शुभ और अशुभ प्रभाव होने पर मिलता है.

मांगलिक दोष (Manglik Dosh) या मांगलिक कुंडली :

कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ सप्तम तथा बारवे भाव में विराजित होने पर जातक को मांगलिक कहा जाता है, यह विशेषकर विवाह के समय उपस्थित होने वाला मुद्दा होता है. मांगलिक कुंडली में मंगल की दृष्टी या सीधा प्रभाव सप्तम यानि जीवन साथी के स्थान पर पड़ता है. इसके कारन वैवाहिक जीवन में बाधाए उत्पन्न होती है, तथा परेशानियोंका सामना करना पड़ता है. इसका असर शादी टूटनेपर भी हो सकता है. या फिर अपने जीवन साथी की मौत भी हो सकती है. इसीलिए विवाह करने से पहले वधु या वर की कुंडली को जरूर देखा जाता है. अत: वर या वधु किसी एक की कुंडली में मंगल दोष को ख़त्म करने के गुण भी हो सकते है, इसीलिए विवाह से पहले गुणमिलान को आवश्यक माना जाता है.

मंगल के लिए वैदिक मंत्र
“ॐ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम। अपा रेता सिजिन्नवति ।”

मंगल के लिए तांत्रोक्त मंत्र
“ॐ हां हंस: खं ख:”
“ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:”
“ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:”

मंगल का नाम मंत्र
“ॐ अं अंगारकाय नम:”
“ॐ भौं भौमाय नम:”

मंगल का पौराणिक मंत्र
“ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।”

मंगल गायत्री मंत्र
“ॐ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात”

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