Free online kundli

भाई दूज 2025 तिथि मुहूर्त और कहानी

भाई दूज 2025 भाई बहन के प्रेम के रिश्ते का महत्वपूर्ण त्यौहार है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है. भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. दिवाली के दो दिन बाद आने वाला भाई दूज का त्यौहार में भाई के लिए बहन लम्बी उम्र और सेहत की कामना करती है.

भाई दूज की पौराणिक मान्यता

भाई दूज की मान्यताओं का उल्लेख पौराणिक कथाओं मे मिलता है. बहुत समय पहले इसी दिन बहन यमुनाने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाकर उनको आदर सत्कार सहित भोजन कराया. उस दिन यम देव बहोत तृत्प हो गए. नरक में यातना भोग रहे सभी जिव उस दिन यातनाओं से मुक्त हो गये.उन जीवो ने मिलकर इस आनंद को त्यौहार के रूप में मनाया. तीनो लोको में खुशियोंका मौहोल बन गया. इसी त्यौहार को बाद में यम द्वितीया तिथि के नाम से जाने जाना लगा. ऐसे माना जाता है. इसी दिन अगर कोई व्यक्ति ब्रह्ममुहूर्त में याम देव की पूजा कर के, यमुना नदी में स्नान करता है. तो उसकी पापोंसे मुक्ति होती है. और उस व्यक्ति को नरक में नहीं जाना पड़ता.

भाई दूज की कहानी पौराणिक कथाओं मे मिलती है.

यमराज हमेशा अपने कार्य में व्यस्त रहते थे. उन्हें अपने काम से अपनों से मिलने के लिए समय नहीं मिल पाता था. बहन यमुना ने अपने भाई को घर आने का बहुत बार आग्रह किया. लेकिन यम देव व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे. एक दिन कार्तिक मास के शुक्ल द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के द्वार अचानक पधारे. तब यमुना को बहुत ही ख़ुशी हो गई. उसके ख़ुशी कोई ठिकाना नहीं था. यमुना ने अपने भाई को अपने हातो से खाना खिलाया. यमराज का आदर सत्कार किया. यमराज भी प्रसन्न हो तृप्त हो गए.

भाई दूज 2025 कब है ? त्यौहार तिथि और मुहूर्त

गुरुवार 01 जनवरी 1970

मुर्हुत
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM
तिथि
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM तक
राहुकाल
12:00 AM से 12:00 AM
यमघंट काल
12:00 AM से 12:00 AM

खुश होकर यमराज ने यमुना से आशीर्वाद मांगने के लिए कहा. यमुना ने कहा, ” जो भी बहन इस दिन अपने भाई को प्रेम से टिका लगाकर खाना खिलाये. उस भाई बहन को आपका कोई भय ना हो.” यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना को अशीर्वा दिया. “तथास्तु !” इस दिन से भाई बहन के प्रेम की भाई दूज के त्यौहार की प्रथा शुरू हो गई. जो भी भाई इस दिन से बहन से टिका लगाकर खाना खाता है. उसे यमराज अकाली मृत्यु का भय नहीं रहता.

रक्षा बंधन तिथि और मुहूर्त | रक्षा बंधन की कहानी

Share with your friends:

Astrology Tool

Related Post