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रक्षा बंधन 2025 तिथि और मुहूर्त | रक्षा बंधन की कहानी

श्रावण मास की पौर्णिमा को राखी पौर्णिमा 2025 या रक्षा बंधन 2025 कहा जाता है. इस दिन बहन भाई को प्यार से राखी बांधती है. और उसके लंबी आयु की कामना करती है. वही भाई अपने बहन को उस की रक्षा का वचन देता है. भाई के हात में बाँधने वाला यह सिर्फ रेशमी धागा नहीं है. तो राखी भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतिक है. रक्षा बंधन का पर्व मनाने का इतिहास हमें पौराणिक कथाओं मे मिलता है.

रक्षा बंधन 2025 की कहानी | इंद्र और इंद्राणी

बहुत समय पहले देवराज इंद्र सहित बाकी देवता और राक्षसों के बिच घनघोर युद्ध हुआ. यह युद्ध करीब 12 साल तक चलता रहा. लेकिन इसमें राक्षस हार नहीं मान रहे थे. और देवताओं को भी विजय प्राप्ति के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.

इंद्र देव इस लंबे युद्ध से बहुत परेशान हो गए थे. इस परेशानी से समाधान पाने के लिए इंद्र देवताओं के गुरु बृहस्पति के पास गए. और उनसे विजय प्राप्ति के लिए समाधान माँगा. गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र को मंत्रो सहित रक्षा विधान करने का उपाय बताया. श्रावण माह के पौर्णिमा के दिन बृहस्पति ने रक्षा विधान मंत्रोच्चार से आरंभ किया. बाद में इंद्र की पत्नी इंद्राणी को, रक्षा पोटली को इंद्र के दाहिने हात पर बाँधने के लिए कहा. जिससे देवराज इंद्र को रक्षा कवच मिल गया. उसके बाद इंद्र और बाकी देवता राक्षसों से चल रहा करीब 12 साल का युद्ध जित गए. असुरों का नाश हुआ.

रक्षा बंधन 2025 कब है ? त्यौहार तिथि और मुहूर्त

गुरुवार 01 जनवरी 1970

मुर्हुत
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM
तिथि
Wed, 31 Dec, 12:00 AM से 12:00 AM तक
राहुकाल
12:00 AM से 12:00 AM
यमघंट काल
12:00 AM से 12:00 AM

रक्षा बंधन 2025 की दूसरी कहानी | श्रीकृष्ण और द्रौपदी

ऐसे ही रक्षा बंधन की दूसरी कहानी महाभारत से आती है. धर्मराज युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था. जहा भारत के सभी बड़े राजाओं को आमंत्रित किया था. उसमे शिशु पाल भी शामिल था. शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण के बुआ का बेटा था.

आकशवाणी के माध्यम से बुआ को पहले से ही पता चल गया था. उसके बेटे शिशुपाल का वध मेरा भांजा श्रीकृष्ण करेगा. शिशुपाल बहोत छोटा था. माँ को उसकी चिंता थी. बुआ ने श्रीकृष्ण से शिशुपाल को माफ़ करने का वचन माँगा. तो जवाब में श्रीकृण ने कहा “बुआ मैं सीधा शिशुपाल का वध नहीं करूँगा, लेकिन वचन देता हु, इसके 100 अपराध पुरे होने के बाद, में इसका वध करूँगा” बुआ को यह बात ठीक लगी.

यह लो हो गए मेरे 100 अपराध पुरे क्या करेगा तू ?

शिशुपाल बचपन से ही श्रीकृष्ण का मत्सर करता था, बहोत अभिमानी और गर्वीला था. भारत के बलशाली राजाओ मे शिशुपाल का नाम आता था. इसलिए बहुत से राजा और प्रजा पर अत्याचार करता था. श्रीकृष्ण के खिलाफ शत्रुओं को सहायता करता था. बहोत बार शिशुपाल ने श्री कृष्ण को ललकारा था. लेकिन श्रीकृष्ण ने कोई जवाब नहीं दिया था. धर्मराज युधिष्ठिर के राज तिलक के समय शिशुपाल श्रीकृष्ण का बहोत अपमान करता है. श्रीकृष्ण राजतिलक में देख वो खुद को उसका अपमान समझता है. श्रीकृष्ण को भला बुरा कहता है और चुनौती देता है. “यह लो हो गए मेरे 100 अपराध पुरे क्या करेगा तू ?” और एक के बाद एक अभद्र भाषा का प्रयोग भगवान श्रीकृष्ण के खिलाफ करता है.

द्रौपदी ने पल्लू फाड़कर बांधली श्रीकृष्ण को राखी

इससे भगवान् श्रीकृष्ण क्रोधित होते है. शिशुपाल का 100 वा अपराध पूर्ण होते ही, वे अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध करते है. सुदर्शन चक्र चलाते समय उनके ऊँगली में चोट लगती है. और ऊँगली से खून बहने लगता है. वहा पर खड़ी द्रौपदी को यह देखा नहीं जाता. और द्रौपदी अपनी साडी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के ऊँगली पर पट्टी बांधती है.

तभी भगवान् श्रीकृष्ण उसका यह ऋण, उसे योग्य समय चुकाने का वादा करते है. और जब हस्तिनापुर में भरी सभा में द्रौपदी का वस्त्र हरण करने की कोशिश की जाती है. द्रोपदी को सभा में बहोत ही अपमानित किया जाता है. द्रौपदी वह उपस्थित सभी को मदत के लिए पुकारती है. लेकिन उसकी कोई मदत नहीं कर पाता.

द्रोपदी के लिए श्रीकृष्ण की सहायता

द्रौपदी मन ही मन भगवान श्री कृष्ण को पुकारती है. तब भगवान श्रीकृष्ण सूक्ष्म रूप से वहा पहुँचते है. और अपनी माया से द्रौपदी की साडी को बड़ा कर देते है. दुश्यासन द्रौपदी की साडी खींचते खींचते थक जाता है. लेकिन द्रौपदी की साडी ख़त्म नहीं होती. ऐसे भाई अपने बहन की रक्षा का दायित्व निभाता है.

वर्त्तमान में रक्षा बंधन का त्यौहार भाई बहन के रिश्तों त्यौहार बन चूका है. जो भाई बहन के पवित्र रिश्ते को रेशमी डोरी से बांध कर रखता है.

सम्पूर्ण पंचांग यहाँ देखे

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