
महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि
सनातन हिंदू धर्म में महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि को बहोत महत्व दिया गया गया. महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु पर विजय प्राप्त करनेवाला मंत्र कहा गया है. महामृत्युंजय मंत्र को त्रयंबकम मंत्र से भी जाना जाता है. इस लेख में हम महामृत्यंजय मंत्र के तथ्योंके बारे में विस्तार से जानेंगे.
महा मृत्युंजय मंत्र क्या है ?
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
महामृत्युंजय मंत्र का इतिहास, उत्पत्ति और कहानी
पौराणिक कथाओं के मान्यता नुसार ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी ने भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या की थी. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ऋषि मृकण्डु के भक्ति से प्रसन्न हो गए. ऋषि मृकण्डु ने भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की. भगवान शिव ने ऋषि मृकण्डु के सामने एक शर्त रखी. “आपको इन दो प्रकार के पुत्रों में से एक ही प्रकार का पुत्र मिल सकता है. एक पुत्र मुर्ख पैदा होगा, जिसकी सौ साल तक आयु होगी, या फिर एक ऐसा पुत्र जो बुद्धिमान तेजस्वी होगा, जिसकी आयु मात्र १६ वर्ष की होगी.”
मार्कंडेय बहोत तेजस्वी और बुद्धिमान था
ऋषि मृकण्डु इस शर्त से असहज हो गए. उन्होंने थोड़ी देर सोचा और कहा, “मुझे बुद्धिमान और तेजस्वी पुत्र चाहिए.” इसके बाद ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी को पुत्र प्राप्ति हो गई. जिसका नाम मार्कंडेय रखा. मार्कंडेय बहोत तेजस्वी और बुद्धिमान था. बाल्यावस्था समाप्त होने के बाद, उनके पिता ऋषि मृकण्डु ने मार्कंडेय को उसके जीवन के बारे में सत्यता बताई.
मार्कंडेय ने शिवलिंग को पकड़ कर रखा
मार्कंडेय ने उसकी आयु समाप्त होने से पहले भगवान शिव की घोर आराधना की. मार्कंडेय के प्राण हरण करने के लये स्वयं यमदेव आ गए. लेकिन मार्कंडेय ने शिवलिंग को पकड़ कर रखा. और यमदेव के साथ जाने से मना किया. इसके बाद मार्कंडेय को भगवान शिव प्रसन्न हो गए. मार्कंडेय को भगवान शिव ने महामृत्युंजय का गुप्त मंत्र दिया. और साथ ही मार्कंडेय को अमर होने का वरदान भी दिया. जिसके बाद बालक मार्कंडेय से मार्कंडेय ऋषि बन गए. जिन्होंने अपने जीवन काल में वैदिक शास्त्रोमे बहोत बड़ा योगदान दिया.
महामृत्युंजय मंत्र से अकाल मृत्यु का भय ख़त्म होता है
महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है. किसी बालक व्यक्ति की अकाल मृत्यु की आहट होते ही महामृत्युंजय की जप साधना करने से अकाल मृत्यु का भय ख़त्म होता है.
मार्कंडेय ऋषि के बाद दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि के संजीवनी विद्या से अनेक दैत्योंके मृत्यु के बाद पुनर्जीवित कर दिया था.
संजीविनी विद्या मंत्र निम्नलिखित है.
“महामृत्युंजय वक्ष्ये दुरितापन्नीवारणम।
यं प्राप्य भार्गवः शाम्भोमृतान दैत्याञ्जीवयत।
तारः खं व्यापिनीचंद्रयुक्तारश्चतुराननः।
अघरिशबिंदुसंयुक्तो हंसः सर्गी च भूर्भुव:।
सकारो बालसर्गा ढयस्यत्रयंबकम वैदिको मनुः।
भूर्भुवः स्वाभुर्जजगेशास्तारी जूंसर्गवान भृगुः।”
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ और विवरण
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
संसार के समस्त सांसो में जीवन को प्रवाहित करने वाले भगवान शिव जैसे ककड़ी अपनी शिरा या तना के पक जाने के बाद उस शिरा या तना रूपी संसार के सभी बंधनों से मुक्त होती है. बिलकुल इसी प्रकार से इस संसार में उसी ककड़ी की तरह पाक जाने के बाद जन्म और मृत्यु के चक्र और बंधन से मुक्त होकर, शरीर का त्याग कर के शिवजी हम आपमें समां जाए. और मोक्ष की प्राप्ति करे.
महामृत्युंजय मंत्र जाप से होने वाले लाभ
अकाल मृत्यु के भय को ख़त्म करना, तथा दीर्घायु के साथ मोक्ष प्राप्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है.
- इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का भय ख़त्म होता है.
- महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि तारक होता है. इसलिए रोग और व्याधि से भी मुक्ति दिलाता है.
- शत्रु भय ख़त्म करने के लिए इस मंत्र का जाप करना लाभप्रद होता है.
- इस मंत्र के जाप से अचानक घटनेवाली दुर्घटना का शिकार होने से व्यक्ति बचता है.
- पुत्र प्राप्ति, आर्थिक सुबत्ता के लिए भी इस मंत्र का जाप लाभदायक होता है.
- इस मंत्र के जाप से पारिवारिक सुख, भाई बहनों से अच्छे रिश्ते बनते है.
महामृत्युंजय मंत्र जाप क्या करे ? क्या न करे ?
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अवांछित फल प्राप्ति के लिए, कुछ विशेष सावधानिया बरतनी चाहिए.
- महामृत्युंजय मंत्र अर्थ और जाप विधि के जाप के समय सभी उच्चारण का विशेष ध्यान रखे. शब्दोंका चयन और उच्चारण सही होना जरुरी है.
- अकाल मृत्यु या रोग निवारण से मुक्ति के लिए कम से सव्वा लाख बार इस मंत्र का जाप करना जरुरी है.
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप अगर शिव के मंदिर में करे तो ज्यादा अच्छा माना जाता है. लेकिन अगर मंदिर में जाना मुश्किल है, तो घर में ही शिवलिंग की प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
- मंत्र जाप करने से पहले धुप और शुद्ध घी से दिया जरूर जलाये. और साथ में मंत्र जाप चलते समय प्रयास कीजिये धुप दिप जलते है.
- मंत्र जाप के पहले कम से कम २ दिन और बाद में, मांस और मदिरा का सेवन ना करे
महामृत्युंजय मंत्र जाप का विधि
- मंत्र जाप के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठे और स्नान करे.
- इस मंत्र जाप से पहले भगवान शिव की प्रिय वस्तु, जैसे फूल, बेल पत्ते, दूध शिवलिंग पर जरूर चढ़ाये और पूजा करे.
- अगर इस मंत्र का जाप मंदिर में कर रहे हो. तो मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंग पर दूध का अभिषेक जरूर करे.
- मंत्र जाप के समय अपना मन भगवान शिव और मंत्र के ऊपर बनाये रखे.
- अगर महामृत्युंजय मंत्र का संकल्प निश्चित संख्या में है. तो मंत्र जाप संख्या एक ही आसन में पूर्ण करे.
यह भी अवश्य पढ़े
Share with your friends:
Astrology Tool
Related Post