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गुरुवार 11 सितंबर, 2025 का पंचांग

भाद्रपद मास, वर्षा ऋतु, विक्रम संवत, कालयुक्त 2082

11 Sep 2025
गुरुवार

कृष्ण पक्ष, कृष्ण चतुर्थी

सूर्योदय
sunrise
6:3:39
सूर्यास्त
sunset
18:30:44
चन्द्रोदय
moonrise
20:44:41
चंद्रास्त
moonset
9:41:54

शुभ अशुभ समय

शुभ मुहूर्त
11:53 से 12:41
गुलिकाल
09:10:26 से 10:43:49
राहुकाल
13:50:35 से 15:23:58
यमघंट काल
06:03:39 से 07:37:03M

सम्पूर्ण पंचांग

तिथि
कृष्ण चतुर्थी - 12:46:46 तक
नक्षत्र
अश्विनी - 13:59:52 तक
योग
ध्रुव - 17:4:25 तक
करण
बव - 2:11:47 तक
नक्षत्र देवता
अश्विनी
नक्षत्र स्वामी
केतु
करण देवता
विष्णु

विशेषता

तिथि विशेष
रिक्ता तिथि - सारांश : शत्रु विनाश व गृह शुद्धि के लिए अच्छा है। कोई महत्वपूर्ण व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिए अच्छा नहीं है।
नक्षत्र विशेष
मूल नक्षत्र
करण विशेष
करण विशेषता: यह करण स्थायी या / व अस्थायी दोनों प्रकार के कार्यों के लिए अनुकूल है। यह करण स्थान या घर को त्यागने के साथ हि नए स्थान या नए घर में प्रवेश करने के लिए भी उपयुक्त है।
शक संवत :
विश्ववासु 1947
विक्रम संवत:
कालयुक्त 2082
मास अमांत:
भाद्रपद
मास पूर्णिमांत:
अश्विन
सूर्य राशि
सिंह
चंद्र राशि
मेष
दिशा शूल
दक्षिण
चंद्र निवास
पूर्व
ऋतु
वर्षा
अयन
दक्षिणायन

11 सितंबर 2025 को क्या है ?

11 सितंबर 2025 को गुरुवार है. गुरुवार के दिन पर गुरु ग्रह, भगवान दत्तात्रेय और सभी प्रकार के गुरुओं का अमल होता है.
    आज का पंचांग

    क्या है पंचांग ?

    पंचांग, (Panchang) पंचांगम एक हिन्दू कैलेंडर (Hindu calender) है. जो खगोलीय घटनाओं पर निर्धारित है. पंचांग में खगोलीय जानकारी को सारणीबद्ध किया जाता है. जिसका उपयोग ज्योतिष या हिन्दू धार्मिक विधान करने के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाता है. किसी घटना घटनेपर विशिष्ट नक्षत्र, करण या योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखाई देते है. यह जानकारी ज्योतिष अनुमान द्वारा मिल सकती है. पंचांग का उपयोग कर ज्योतिष गणना द्वारा राशिफल दिया जाता है.

    पंचांग (Panchang) शब्द का उपयोग संस्कृत से किया जाता है. पंचांग (Panchang) यानि पांच अंग जो ऊर्जा स्त्रोतोंका प्रतिनिधित्व करते है. यह स्त्रोत दृश्य और अदृश्य दोनों में शामिल है. स्थान या क्षेत्र, समय, तारिक आदि, किसी मुहूर्त के लिए सटीक पंचांग का परिणाम बहुत ही महत्वपूर्ण है. तीथि, योग, वर, नक्षत्र और करण पंचांग की पांच विशेषताएं है. पंचांग की इन पांच विशेषताए जब किसी खास कारन के लिए संतुलन बनाये रखने पर, उसे मुहूर्त कहा जाता है. धार्मिक विधि, विधान करने के लिए, किसी कार्य का प्रयोजन करने के लिए, शुभ मुहूर्त बहोत ही महत्वपूर्ण बन जाता है.

    पंचांग की जरुरत ?

    पंचांग का उपयोग मुख्यत्वे, काल गणना, तिथि वार, व्रत, शुभ मुहूर्त, देखने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है. ज्योतिष गाइड के दैनिक पंचांग में नक्षत्र, योग, करन सहित, शुभ - अशुभ समय, मुहूर्त, चंद्र बल, तारा बल पंचांग में आसानीसे उपलब्ध है.

    पंचांग (Panchang) का निर्धारण, ब्रम्हांड की गति पर निर्भर है. इसलिए जैसे जैसे पृथ्वी भ्रमण करती है, पंचांग समय क्षेत्र के अनुसार बदलता दिखाई देता है. इसलिए एक ही पंचांग अलग अलग क्षेत्रों के लिए अलग अलग हो सकता है. इसलिए सही पंचांग का समय निर्धारण के लिए, क्षेत्र को चुनना अति महत्वपूर्ण है.

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