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रविवार 05 फरवरी, 2023 का पंचांग

माघ मास, शिशिर ऋतु, विक्रम संवत, रक्षा 2079

5 Feb 2025
रविवार

शुक्ल पक्ष, पूर्णिमा

सूर्योदय
sunrise
7:7:6
सूर्यास्त
sunset
18:2:38
चन्द्रोदय
moonrise
17:39:38
चंद्रास्त
moonset
7:3:9

शुभ अशुभ समय

शुभ मुहूर्त
12:13 से 12:55
गुलिकाल
15:18:45 से 16:40:41
राहुकाल
16:40:41 से 18:02:38
यमघंट काल
12:34:52 से 13:56:48M

सम्पूर्ण पंचांग

तिथि
पूर्णिमा - 23:59:16 तक
नक्षत्र
पुष्य - 12:13:4 तक
योग
आयुष्मान - 14:41:10 तक
करण
विष्टि - 10:44:33 तक
नक्षत्र देवता
बृहस्पति
नक्षत्र स्वामी
शनि
करण देवता
मृत्यु

विशेषता

तिथि विशेष
पूर्णा तिथि - सारांश : धार्मिक अनुष्ठानों , दान , पूजा व दिवंगत के लिए किये जानेवाले संस्कार के अलावा किसी भी कार्य के लिए अशुभ।
नक्षत्र विशेष
उधर्वमुख नक्षत्र
करण विशेष
करण विशेषता: इसे भद्रा भी कहा जाता है। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के प्रदर्शन के लिए इसे बहुत ही अशुभ करण माना जाता है। इस करण में शुरू किए गए कार्य में थोड़ी सफलता मिल सकती है। विष्टि को भद्रा के नाम से भी जाना जाता है।
शक संवत :
शुभकृत 1944
विक्रम संवत:
रक्षा 2079
मास अमांत:
माघ
मास पूर्णिमांत:
माघ
सूर्य राशि
मकर
चंद्र राशि
कर्क
दिशा शूल
पश्चिम
चंद्र निवास
उत्तर
ऋतु
शिशिर
अयन
उत्तरायण

5 फ़रवरी 2025 को क्या है ?

5 फ़रवरी 2025 को बुधवार है. बुधवार के दिन पर बुध ग्रह और भगवान विष्णु का अमल होता है.
    आज का पंचांग

    क्या है पंचांग ?

    पंचांग, (Panchang) पंचांगम एक हिन्दू कैलेंडर (Hindu calender) है. जो खगोलीय घटनाओं पर निर्धारित है. पंचांग में खगोलीय जानकारी को सारणीबद्ध किया जाता है. जिसका उपयोग ज्योतिष या हिन्दू धार्मिक विधान करने के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाता है. किसी घटना घटनेपर विशिष्ट नक्षत्र, करण या योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते दिखाई देते है. यह जानकारी ज्योतिष अनुमान द्वारा मिल सकती है. पंचांग का उपयोग कर ज्योतिष गणना द्वारा राशिफल दिया जाता है.

    पंचांग (Panchang) शब्द का उपयोग संस्कृत से किया जाता है. पंचांग (Panchang) यानि पांच अंग जो ऊर्जा स्त्रोतोंका प्रतिनिधित्व करते है. यह स्त्रोत दृश्य और अदृश्य दोनों में शामिल है. स्थान या क्षेत्र, समय, तारिक आदि, किसी मुहूर्त के लिए सटीक पंचांग का परिणाम बहुत ही महत्वपूर्ण है. तीथि, योग, वर, नक्षत्र और करण पंचांग की पांच विशेषताएं है. पंचांग की इन पांच विशेषताए जब किसी खास कारन के लिए संतुलन बनाये रखने पर, उसे मुहूर्त कहा जाता है. धार्मिक विधि, विधान करने के लिए, किसी कार्य का प्रयोजन करने के लिए, शुभ मुहूर्त बहोत ही महत्वपूर्ण बन जाता है.

    पंचांग की जरुरत ?

    पंचांग का उपयोग मुख्यत्वे, काल गणना, तिथि वार, व्रत, शुभ मुहूर्त, देखने के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है. ज्योतिष गाइड के दैनिक पंचांग में नक्षत्र, योग, करन सहित, शुभ - अशुभ समय, मुहूर्त, चंद्र बल, तारा बल पंचांग में आसानीसे उपलब्ध है.

    पंचांग (Panchang) का निर्धारण, ब्रम्हांड की गति पर निर्भर है. इसलिए जैसे जैसे पृथ्वी भ्रमण करती है, पंचांग समय क्षेत्र के अनुसार बदलता दिखाई देता है. इसलिए एक ही पंचांग अलग अलग क्षेत्रों के लिए अलग अलग हो सकता है. इसलिए सही पंचांग का समय निर्धारण के लिए, क्षेत्र को चुनना अति महत्वपूर्ण है.

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