राहुकाल गणना, राहुकाल समय क्या करे ? क्या न करे ?
आज का राहुकाल का समय निर्धारण करने से पहले राहु काल क्या होता है ? और इसे कैसे निर्धारित किया जाता है. इसपर चर्चा करते है. आज का राहुकाल का समय, ज्योतिष गाइड में विस्तार से दिया गया है.
क्या होता है राहुकाल ?
वैदिक ज्योतिष में राहु को, पाप और भ्रमित करनेवाला ग्रह माना गया है. ग्रहोंके भ्रमण के समय राहु के प्रभाव में आने वाले समय पर होने हवाले शुभ कार्य से बचने चाहिए। ऐसे कार्यों को टाल देना हिट कारक हित कारक माना गया है. राहु काल के वक्त किसी भी प्रकार के होम हवन, पूजा या यज्ञ करने पर जातक को इच्छित फल की प्राप्ति नहीं होती है. इसलिए दिन में महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले राहुकाल का विचार आवश्यक मन गया है.
कौनसे प्रकार के कार्य राहु काल में करने चाहिए ?
राहु से प्रभावित सभी प्रकार के कार्य राहु काल में अच्छे परिणाम दिला सकते है. आप राहु की प्रसन्नता के लिए, होम यज्ञ इत्यादि राहु काल में करना शुभ दाई सिद्ध होगा।
राहु काल में कौन से कार्य नहीं करे ?
भारत में दक्षिण भारत राहु काल को किसी भी कार्य करने से अहले देखना महत्वपूर्ण माना जाता है. राहु काल में होम हवन, पूजा को निषिद्ध माना गया है. साथ में किसी भी प्रकार के नए कार्य करना, स्टॉक, शेयर ट्रेडिंग, सोने का क्रय अथवा विक्रय इन जैसे कार्योंसे बचना चाहिए। मात्र इससे पहले चलते पुरवा पार चलते आ रहे कार्य आप राहु काल में जारी रख सकते है.
राहु काल की गणना कैसे करे ?
हर दिन में राहु काल समय निश्चित माना गया है. राहु काल का यह समय कुल डेढ़ घंटे (एक घण्टा तीस मिनट) का होता है. एक दिन के आठ खंड होते है. राहु काल सूर्योदय या सूर्यास्त के मध्य के खंड में से एक खंड है. निश्चित किये गए स्थान के अनुसार सूर्योदय और सूर्यास्त के कुल मध्यावधि के अवधि को आठ से विभाजित करने पर राहु काल का समय मिलता है.
राहु काल के लिए स्थान निश्चिती
सूर्योदय तथा सूर्यास्त प्रत्येक स्थान के लिए अलग होने के कारन, राहु काल का समय और अवधि दो स्थानों में भिन्न हो सकती है. राहु काल का समय और समाप्ति एक स्थान पर भी भिन्न हो सकती है. राहु काल स्थान और समय के हिसाब से हमेशा परिवर्तित होता है. इसलिए प्रत्येक दिन का राहु काल गणना से देखना अनिवार्य है.
राहुकाल का समय निर्धारण
दिन के अगर आठ खंड मान लिए, तो सुर्यदय से प्रथम खंड हमेशा शुभ होता है. इसे होरा भी कहा जाता है. यह समय लगभग दिन में डेढ़ घंटे होता है. यह होरा वार के दिन अधियति का होता है. जैसे की सोमवार चन्द्रमा के लिए, मंगलवार मंगल के लिए, बढ़वार बुध के लिए, गुरुवार गुरु के लिए, शुक्रवार शुक्र के लिए, शनिवार शनि के लिए और रविवार सूर्य के लिए होता है. यह प्रथम खंड सदैव राहु के प्रभाव से मुक्त रहता है. सोमवार को राहु काल द्वतीय खंड में शनिवार को तृतीय खंड में, शुक्रवार को चतुर्थ खंड में, बुधवार को पांचवे खंड में, गुरुवार को छटे, मंगलवार को सातवे और रविवार को आठवे खंड में राहु काल होता है.
रात्रि के समय राहुकाल का समय निर्धारण
कई बार राहु काल को रात्रि के प्रहर में भी गणना की जाती है. लेकिन महत्वपूर्ण कार्य दिन के समय में ही होते है. इसलिए दिन में राहु काल को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. अर्थात सूर्यास्त और सूर्योदय के बिच की गणनां अगर आठ खंडो में की जाए तो, रात्रि काल में राहु काल का समय मिल सकता है. लेकिन यह गणना अधिक लोकप्रिय नहीं मणि गई है.
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