ग्रह परिचय : ज्योतिष में नौ ग्रहों में चंद्रमा का महत्व

ग्रह परिचय : ज्योतिष में नौ ग्रहों में चंद्रमा का महत्व

चंद्रमा का स्थान नौ ग्रहों में सूर्य के बाद आता है, इसलिए चंद्रमा मनुष्य जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव करनेवाला ग्रह माना जाता है. नौ ग्रहों की तुलना में चन्द्रमा की गति, सबसे अधिक होने के कारन चंद्रमा का प्रभाव भी मनुष्य पर सबसे तेज होता है, और उतने ही जल्दी प्रभाव से मुक्त भी हो जाता है

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मनुष्य का मन, मानसिक स्थिति, मनोबल, द्रव्य वस्तुओं, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति, माता, छाती, ह्रदय आदि का कारक होता है.

चंद्रमा बारा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है. इसका आकार भले ही सबसे छोटा हो, लेकिन इसकी गति सबसे तेज है. इसलिए चंद्रमा के गोचर की अवधि सबसे कम है. चन्द्रमा लगभग सव्वा दो दिनों में एक राशि से दूसरे में प्रवेश करता है, चंद्रमा की गति के कारण ही विंशोत्तरी, योगिनी, अष्टोत्तरी दशा आदि चंद्र ग्रह की गति से ही बनती हैं, साथ ही साथ वैदिक ज्योतिष में राशि फल या राशि को ज्ञात करने के लिए चंद्रमा जिस राशि में स्थित होते है, उस राशि को आधार माना जाता है. जातक के जन्म समय चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होगा, वो राशि जातक की राशि कही जाती है, उस राशि के स्वभाव के अनुसार जातक की सोच और मानसिक स्थिति का ज्ञान होता है.

चंद्रमा का मनुष्य जीवन पर पड़नेवाला प्रभाव :

जातक की कुंडली में अगर चंद्रमा बलि यानी कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव में स्वराशि यानि अपनी कर्क राशि या अपनी उच्च राशि वृषभ राशि में विराजमान हो, तो जातक की, मानसिक अवस्था बहोत ही श्रेष्ट होती है, चाहे उसकी शारीरिक ताकत कितनी ही कमजोर क्यूँ ना हो, वो अपने मजबूत इरादों से जित हासिल कर लेता है.

बलि या स्वराशि चंद्रमा की कुंडली में मजबूत स्थिति :

बहुत बार यह जातक मंगल के प्रभाव वाले जातक की तुलना में श्रेष्ट होते है, क्यूं कि मंगल वाले जातक के पास भले ही शारीरिक बल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो, लेकिन जब तक वो अपने मन पर काबू नहीं कर पाता है, उसकी सारी शक्ति व्यर्थ है. समाज में आप को ऐसे बहोत से उदाहरण देखने को मिल सकते है, जैसे की एक पहलवान जो अपनी ताकत के बलबूते पर मैदान में बड़े बड़े पहलवानों को पटकता होगा, लेकिन अपने पीड़ित चन्द्रमा के कारण अगर यही पहलवान अपनी मन में दबी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाया तो बिलकुल अपने व्यक्तित्व के विरुद्ध छोटे बच्चों जैसा रो कर व्यवहार कर सकता है, और यह उसके विफलता का एक कारन बन सकता है.

इंसान की सफलता और असफलता में उसके मानसिक संतुलन का योगदान और उसकी सोच बहोत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसलिए किसी भी जातक को अपनी कुंडली में स्थित बली चंद्रमा सफलता की सीढ़ियों पर ले जाने के लिए हमेशा मददगार साबित होता है. चंद्रमा से पीड़ित जातक अगर चंद्रमा का मंत्र जाप तथा उनके उपाय करे तो पीड़ित जातक को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी. लेकिन पीड़ित ग्रह का प्रभाव पूर्ण रूप से कभी ख़त्म नहीं होगा.

दशरथ मांझी
जन्म तिथि : जनवरी 01, 1934
जन्म समय : 12:00:00
जन्म स्थल : गया, बिहार

मजबूत चंद्रमा के लिए माउंटेन मैन दशरथ मांझी का उदाहरण लेना जरुरी होगा, इन पर कुछ समय पहले फिल्म भी बनी थी, ‘द माउंटेन मैन मांझी’, इन की कुंडली में चंद्रमा अपने ही चतुर्थ भाव में मजबूत होकर बैठे है. साथ में लग्नेश गुरु सप्तम में बैठकर लग्न स्थान को देख रहे है. इस अवस्था में जातक मन में आई बात को कठिन परिस्थितयों मे पूरा करने वाला होगा, साथ में यहाँ गुरु और चंद्रमा मिल कर गजकेसरी योग बना रहे है. यह बहोत ही शुभ योग है. तभी दशरथ मांझी कठिन परिस्थितियों में पहाड़ को तोड़कर रास्ता बनाने कामयाब हो पाए.

पीड़ित चंद्रमा का प्रभाव : पीड़ित चंद्रमा के कारण जातक को मानसिक पीड़ा, स्मृति कमज़ोर हो जाना , माता को परेशानी या माता से ख़राब रिश्ते, मानसिक रूप से स्थिति ख़राब होने पर आत्महत्या करना.

चंद्रमा के कार्यक्षेत्र : ज्योतिष में चंद्रमा से खेती में सिंचाई, जल से संबंधित सारे प्रकार के कार्य, पेय जल पदार्थ, दूध, दुग्ध उत्पाद (दही, घी, मक्खन) खाद्य पदार्थ, पेट्रोल, मछली, नौसेना, टूरिज्म, आईसक्रीम, ऐनीमेशन आदि प्रकार का कारोबार देखा जा सकता है.

चंद्रमा के रोग : यदि जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा छटे, आठवे और बारवे भाव में किसी क्रूर अथवा पापी ग्रह से युक्त अथवा दृष्टी में हो, तो जातक की सेहत पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। इससे जातक को सिरदर्द, मस्तिष्क पीड़ा, डिप्रेशन, भय, तनाव, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित रोग या विकार, मिर्गी के दौरे, पागलपन अथवा बेहोशी आदि प्रकार की समस्या होती है.

चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र : गन्ना, शकर कंद, केसर, मक्का, चांदी, मोती, कपूर, सभी रसदार फल तथा सब्जी, दूध और दूध से बननेवाले पदार्थ, नौसेना, पानी से संबंधित रोजगार, सारे प्रकार के केमिकल, एनिमेशन फिल्मे, कल्पना की दुनिया के व्यापर, क्षेत्र और वस्तुए चंद्रमा के अधिकार क्षेत्र में आती हैं.

चंद्रमा के रत्न : चंद्रमा का रत्न मोती है.
चंद्रमा के रंग : चंद्रमा का रंग सफेद है.
चंद्रमा के वार : चंद्रमा का वार सोमवार है.

चंद्र ग्रह का वैदिक मंत्र
ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा ।।

चंद्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र
ॐ सों सोमाय नमः

चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः

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