शिव आरती | जय शिव ओंकारा | Lord Shiva Aarti Lyrics
भगवान शिव की आरती, ॐ जय शिव ओंकारा उनके भक्तों में काफी लोकप्रिय है. भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए एक अच्छा माध्यम है. भगवान शिव की आरती में उनकी स्तुति और महिमा गाया गया है.
श्रावण महीने हर दिन और किसी भी सोमवार के दिन भगवान शिव की आरती ॐ जय शिव ओंकारा भक्तों के लिए लाभकारी सिद्ध होती है. भगवान महादेव की पूजा समाप्त होने के बाद आरतीसे पूजा समाप्ति करना एक परंपरा मानी जाती है.
आरती की रचना किसने और कब की थी ?
भगवान शिव बहुत ही दयालु है. इसलिए अपने भक्तोंपर जल्द ही प्रसन्न हो जाते है. इसलिए उन्हें भोलेबाबा भी कहा जाता है. आरती पारंपरिक और काफी पुरानी मानी जाती है. भगवान शिव की आरती की रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने की थी.
शिव की आरती लिरिक्स और पीडीएफ में
ज्योतिष गाइड के आरती कैटेगरी में शिव आरती, ॐ जय शिव ओंकारा लिरिक्स (Shiva Aarti Lyrics) दिया गया है. साथ में शिव आरती पीडीएफ (Lord Shiva Aarti PDF) में भी डाऊनलोड की सुविदा दे दी गई है.
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ा सन वृष वाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ॥
अक्षमाला बन माला रुण्ड माला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनका दिक गरुणा दिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जग कर्ता जगभर्ता जग संहार कर्ता ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रण वाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥
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