प्रेमी या प्रेमिका को लेकर प्रेम से जुड़े ज्योतिष के कुछ मजेदार और रोचक योग
प्रेम ईश्वर की सबसे बड़ी देन है, प्रेम ही एक ऐसा कारन है, जहा रिश्ते और मजबूत होते है. इस निस्वार्थी भाव का अर्थ प्रेम है, जहा लेने की नहीं, इंसान देने की सोचता है. जब कोई जातक मन ही मन में किसी और को अपना मान लेता है, तो उसका कारन शारीरिक या मानसिक आकर्षण होता है. जनम कुंडली में प्रेम के पवित्र भाव के लिए कुंडली का पांचवा भाव या स्थान दिया गया है, जो कुंडली के सबसे शुभ भाव में से एक है. कुंडली का पांचवा भाव और यहाँ स्थित ग्रह और राशि से ही जातक के जीवन में प्रेम कितना सफल होगा, इसकी समीक्षा की जा सकती है. आइये जानते है प्रेम से जुड़े ज्योतिष के कुछ मजेदार और रोचक योग
जातक के लिए कुछ मजेदार और रोचक प्रेम योग
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यदि पंचम भाव में हर्षल विराजित हो या पंचमेश या पंचम स्थान पर हर्षल का प्रभाव या दृष्टी हो तो जातक अपने प्रेम के लिए खुद पहल करता है.
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पंचमेश यदि षष्ट भाव में विराजित हो, तो जातक को प्रेम में पप्रतिस्पर्धी मिलता है, जिससे जातक को अपना प्रेम पाने के लिए स्पर्धा करनी पड़ती है.
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अगर षष्ट भाव में पंचमेश विराजित हो, और षष्टेश पंचमेश का मित्र हो, और षष्टेश षष्ट भाव में ही बैठ जाए तो प्रेम में प्रतिस्पर्धी को हराकर जातक विजय प्राप्त करता है.
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यदि कुंडली में पंचमेश और नवमेश का सबंध आ जाये, या पंचमेश नवम भाव में या नवमेश पंचम भाव में विराजित हो तो, जातक जिस पर प्रेम करता है, वो किसी और को प्रेम करती है.
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पंचमेश का सबंध नवमेश या नवम स्थान और लग्न से आ जाये और उसके साथ नेप्चून भी हो, तो जातक का प्रेमी उसे धोका देकर किसी और से प्रेम करता है.
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यदि पंचमेश का संबंध दशमेश से आजाए, या पंचमेश दशम भाव में विराजित हो, तो जातक के प्रेम सबंध अपने दप्तर के साथी के साथ होते है.
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यदि पंचमेश का सबंध लाभ यानि ग्यारवे भाव से आजाये, तो जातक का प्रेमी अपने मित्रो में से ही एक होता है.
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यदि लाभ भाव या ग्यारवे भाव में गुरु, चंद्र, राहु जैसे ग्रह स्थित हो, तो जातक के एक से ज्यादा प्रेम सबंध बनते है.
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यदि पंचम भाव का स्वामी और चतुर्थेश का सबंध हो या पंचमेश चतुर्थ में हो, तो जातक का प्रेमी घर के आस पास रहनेवाला या माता से पहचान वाला होता है.
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यदि पंचमेश तृतीय भाव में हो पंचमेश और तृतीयेश एक दुसरेसे सबंध बना रहे हो तो जातक का प्रेमी उसका पडोसी होता है.
प्रेमी का रंग, कद काठी तथा रूप
पंचम भाव में अकेला चंद्र हो तो, प्रेमी गोरा और गोल चहरे का होता है. प्रेमी शर्मीला स्वभाव का होता है.
पंचम भाव में सूर्य हो, पंचम या पंचमेश पर सूर्य का प्रभाव हो तो प्रेमी मध्यम कद का, स्वाभिमानी, अभिमानी होता है.
पंचम भाव पर मंगल का प्रभाव हो तो, मंगल मेष, वृश्चिक राशि में हो, तो प्रेमी का रंग भूरा, आंखे बुरी या लाल, बाल घुमराले होते है. मंगल प्रभाव के कारन प्रेमी का स्वभाव आक्रामक होता है.
पंचम भाव में गुरु या गुरु का प्रभाव हो तो, प्रेमी हेल्दी और गोर रंग का हो सकता है. प्रेमी का स्वभाव धार्मिक हो सकता है.
पंचम भाव में शुक्र हो तो प्रेमी सांवला, और मोहक आँखों वाला, थोड़े से घुमराले बालों वाला होता है.
प्रेमी का स्वभाव या दूसरों के प्रति व्यवहार
पंचम भाव में शनि हो या पंचम पर प्रभाव हो तो, प्रेमी शाम रंग का, थोड़ा आलसी हो सकता है.
पंचम भाव में बुध हो, तो प्रेमी सांवला होगा, मिथुन राशि का बुध होगा तो बातूनी होगा, मजाक करनेवाला होगा.
इन से तो बच के रहियो
पंचम भाव में राहु हो तो प्रेमी किसी की ना सुननेवाला, हटवादी, स्वभाव, दूसरे धर्म से संबधित हो सकता है. यहाँ बैठा राहु और मंगल का सबंध बन जाए, तो सिगरेट, अल्कोहल का व्यसनी, तथा दुसरों पर रॉब ज़माने वाला हो सकता है.
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पंचम भाव में केतु बैठा हो, तो जातक के जीवन में एक से ज्यादा प्रेमी होने की संभावना बनी होती है, यहाँ बैठा केतु प्रेमी को चिड़चिड़ा या धार्मिक स्वभाव का बना देता है. पंचम भाव में बैठे केतु जातक के प्रेमी को या प्रेम को रहस्यमई कर देता है.
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