
कालसर्प दोष कैलकुलेटर | Kaal Sarp Dosha Calculator
कालसर्प दोष कैलकुलेटर कुंडली में राहु केतु से बनने वाले अशुभ योग की जानकारी देता है. तथा कालसर्प दोष कैलकुलेटर परिणाम में कालसर्प दोष का प्रकार और इसके उपाय दिए गए है.
कालसर्प दोष अथवा कालसर्प योग क्या है ?
कालसर्प दोष राहु और केतु के द्वारा बनता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु दोनों भी पाप ग्रह है. राहु को बड़े विशाल सर्प मुँह और केतु को उसी सर्प की पूँछ है. राहु और केतु आकाश मंडल और कुंडली में हमेशा 180 अंश (डिग्री) में होते है. यानि हमेशा एक दूसरे के सामने होते है. आकाश मंडल में जब सारे ग्रह राहु और केतु के एक छोर पर आजाये. इस परिस्थिति को कालसर्प योग कहा जाता है.
कालसर्प योग या कालसर्प दोष के परिणाम
कालसर्प दोष को कुंडली में अशुभ योग माना गया है. कालसर्प दोष मानसिक चिंता का कारक माना गया है. तथा कुंडली के अलग अलग स्थानोंके अनुसार इसके अलग अलग अशुभ परिणाम देखे जाते है. कालसर्प योग शापित योग है. पिछले जन्मोंके कर्मों के अनुसार व्यक्ति के कुंडली में दिखाई देता है.
कालसर्प दोष के हमेशा अशुभ परिणाम ही दिखाई देते है. लेकिन बहुत बार यशस्वी लोगोंके कुंडली में कालसर्प दोष पाया गया है. इसका मतलब कालसर्प दोष को यश अपयश का कारन नहीं मानना चाहिए. कालसर्प योग में मानसिक, शारीरिक, आर्थिक, भौतिक सुखो में कमी, इच्छाओंका गाला घटना इन जैसे समस्याएं आती है.
कालसर्प दोष कैलकुलेटर कैसे काम करता है ?
कालसर्प दोष कैलकुलेटर से व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष की जानकारी मिलती है. जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान के आधार पर डेटा लिया जाता है. कालसर्प दोष कैलकुलेटर के परिणाम में दोष सहित कालसर्प दोष का प्रकार उसके उपाय की जानकारी दी जाती है.
कालसर्प दोष के प्रकार
अनन्त काल सर्प योग :
अनन्त काल सर्प योग तब बनता है. जब कुंडली में सप्तम भाव में केतु और लग्न या प्रथम भाव में राहु हो. इस योग में शारीरिक, मानसिक पीड़ा और सरकारी तथा न्यायालयीन कामकाजों में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
कुलिक कालसर्प योग :
यह योग तब बनता है. जब अष्टम भाव में केतु तथा द्वितीय भाव में राहु हो. इस योग में व्यक्ति के जीवन में पारिवारिक समस्या, आर्थिक और सामाजिक जीवन में मुश्किलें पैदा करता है.
वासुकि कालसर्प योग :
इस योग में जब केतु नवम भाव में और राहु तृतीय भाव में हो और सारे ग्रह इनके बिच हो. तब वासुकि कालसर्प योग बनता है. इस योग में व्यक्ति के जीवन में अविरत संघर्ष करना, आत्मविश्वास की कमी, भाग्य का साथ ना मिलना इस समस्याओंका सामना करना पड़ता है.
शंखपाल कालसर्प योग :
इस योग में दशम भाव में केतु और चतुर्थ भाव में राहु हो. और सभी ग्रह राहु और केतु के बिच में हो तो शंखपाल कालसर्प योग बनता है. इस योग में व्यक्ति को माता से पीड़ा का सामना करना पड़ता है. जमीन और घर से जुड़े मामलो में परेशानी झेलनी पड़ती है. आर्थिक स्थिती में अचानक गिरावट. तथा मानसिक परेशानी होती है.
पद्म कालसर्प योग :
इस योग में केतु लाभ या ग्यारवे भाव में और राहु पंचम भाव में स्थित हो. और इसके बिच में सभी ग्रह हो. तो पद्म कालसर्प योग बनता है. इस योग में, संतान से जुडी समस्याएं. प्रेम और शिक्षा में रूकावट का सामना करना पड़ता है. पगार, धनलाभ में हमेशा इनको समस्याओंका सामना करना पड़ता है.
महापद्म कालसर्प योग :
इस योग में केतु बारहवे भाव में तो राहु छटे भाव में हो. और इस के बिच सभी ग्रह हो तो महापद्म कालसर्प योग बनता है. इस योग में मानसिक पीड़ा, शारीरिक कष्ट करना, जीवन भर दूसरोंकी सेवा में जीवन व्यतीत करना, शारीरिक सबंधोंमे विफलता का सामना करना पड़ता है.
कर्कोटक कालसर्प दोष :
इस योग में केतु दूसरे भाव में तथा राहु अष्टम भाव में हो. और इनके बिच में सभी ग्रह हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष बनता है. इस योग में, धन की हानि, कठिन परिश्रम लेकिन लाभ ना के बराबर, व्यापर में नुक्सान सहना पड़ता है. नौकरी में बाकी सहयोगी इनसे जल्दी आगे निकल जाते है.
तक्षक कालसर्प दोष :
जब केतु लग्न में तथा राहु सप्तम भाव में हो. और इनके बिच सभी ग्रह उपस्थित हो, तो तक्षक कालसर्प दोष बनता है. इस योग में वैवाहिक जीवन में अशांति, मानसिक रूप से व्यक्ति पीड़ित होता है. कारोबारी साझेदारी ने घाटा होता है. बहुत बार शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है.
शंखचूड़ कालसर्प दोष :
इस योग में राहु नवम भाव में तथा केतु तृतीय भाव में हो. और इनके बिच में सारे ग्रह हो तो शंखचूड़ कालसर्प दोष बनता है. इस योग में व्यक्ति के भाग्य में कमी आती है. पिता और बंधुओं से साथ नहीं मिल पाता है. पराक्रम में कमी आती है. पड़ौसियों से छलावा होता है.
घातक कालसर्प दोष :
जब कुंडली में दशम भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो. और सभी ग्रह इनके बिच हो तो घातक कालसर्प दोष बनता है. इस योग में घर में अशांति, मानसिक पीड़ा, माता के कारण कष्ट, घर में विवाद. नौकरी व्यवसाय में दिक्कते आती है.
विषधर कालसर्प दोष :
कुंडली में जब लाभ या ग्यारवे भाव में राहु और पंचम भाव में केतु हो. और इनके बिच सभी ग्रह हो तो विषधर कालसर्प दोष योग बनता है. इस योग के कारन व्यक्ति के संतान सुख में कमी आती है. उच्च शिक्षा में कमी आती है. प्रेम प्रसंग में कठिनाई साहनी पड़ती है. लाभ में अचानक गिरावट या उछाल दिखाई देती है.
शेषनाग कालसर्प दोष :
जब कुंडली में राहु बारहवे भाव में और केतु छटे भाव में हो. और सभी ग्रह इनके बिच हो तो शेषनाग कालसर्प दोष योग बनता है. इस योग में व्यक्ति के जीवन में मानसिक अशांति, सामाजिक बदनामी, जेल जाने के योग बनते है. भिन्न प्रकार के लोगोंके साथ इनके शारीरिक सबंध बनते है. मामा, मौसी इनके परिवार से रिश्ते बिगड़ते है. इनके बिमारी का कारण हमेशा गूढ़ होता है.
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