विपरीत राजयोग Viprit Rajyog : मुश्किल परिस्थितियों के बाद दिलाता है अपार सफलता
विपरीत राजयोग
विपरीत राजयोग (Viprit Rajyog). अपने नाम से ही विख्यात है. जातक के लिए कठिन और विपरीत परिस्थितियाँ, होने के बावजूद जो लाभ पहुंचाए. उसे विपरीत राजयोग कहा जाता है.
छह, आठ और बारा स्थान के अधिपति अगर अपने ही राशियों में, स्थान में विराजित हो. तो उसे विपरीत राजयोग कहा जाता है.
छठे भाव में विपरीत राजयोग (Viprit Rajyog) और फल
छठा स्थान रोग, शत्रु, स्पर्धा, किसी भी सेवा का कारक स्थान है. अगर छठा भाव का स्वामी ग्रह छटे भाव में विराजित हो. तो यहाँ छटे भाव में विपरीत राजयोग होगा. इस परिस्थिती में जातक को छटे भाव से सबंधित अशुभ फल प्राप्त होकर, उसमे से ही जातक को लाभ मिल सकता है. यानी जातक किसी रोग के कारन बीमार हो जाए, और उसके बाद जातक को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल जाए. जातक को किसी स्पर्धा में कठिनाइयों का सामना करना पड़े, और उसके बाद स्पर्धा में विजय पाकर जातक बड़ा लाभ हो जाए. जातक को जीवन में सबसे अधिक शत्रु उत्पन्न हो जाए और शत्रुओंके द्वारा ही जातक लाभ मिल जाए.
अष्टम भाव में विपरीत राजयोग (viprit rajyog) और फल
अष्टम भाव, मृत्यु, गूढ़ विद्या, गुप्त धन, चिर फाड़, ऑपरेशन, बदलाव इन सब का कारक भाव है. अगर अष्टमेश अष्टम भाव में विराजित हो तो, ऊपर दिए फल के द्वारा ही, विपरीत परिस्थितीयों में जातक को लाभ मिल सकता है. अष्टमेश अष्टम में हो तो, जातक को ऑपरेशन, सर्जरी, गुप्त विद्या इन में किसी एक या प्रत्येक फल में से गुजरने के बाद जातक को लाभ प्राप्ति होती है.
बारहवें भाव में विपरीत राजयोग और फल
बारहवा भाव, चिंता, तुरुंगवास, विदेश गमन, आध्यात्मिक ज्ञान, मुक्ति इनका कारक भाव है. अगर बारहवे भाव का स्वामी बारहवे भाव में विराजित हो तो, ऊपर दिए फल के द्वारा ही, विपरीत परिस्थितीयों में जातक को लाभ मिल सकता है. विदेश यात्रा में कठिनाइयों के द्वारा विदेश यात्रा विदेश से लाभ हो सकता है. जातक को तुरुंगवास से भी लाभ हो सकता है.
कब मिलेंगे विपरीत राजयोग के परिणाम ?
अब सवाल यह पैदा होता है, की विपरीत राजयोग का परिणाम, जातक के जीवन में कब देखने को मिलेंगे ? जब गोचर द्वारा छह, आठ, और बारह भाव के स्वामी अपने स्थान में विराजित होंगे, तब जातक को इसका परिणाम मिल सकता है. साथ ही साथ इन ग्रहों की महादशा और अंतरदशा में, इसके ज्यादा परिणाम मिल सकते है. साथ में मंद गति ग्रहोंका परिणाम गोचर के साथ अपनी दशा, अंतर्दशा द्वारा और तेज गति ग्रहोंका परिणाम अपनी दशा अंतर्दशा द्वारा मिलने के आसार ज्यादा होते है.
इन परिस्थितियों में परिणाम शुभ ही मिलेगा यह जरुरी नहीं
विपरीत राजयोग का परिणाम जातक को, शुभ ही मिलेगा यह जरुरी नहीं है. अगर छह, आठ या बारह भाव के स्वामी पर या स्थान पर, पाप पीड़ित ग्रहोंका प्रभाव हो, तो हो सकता है, जातक को और ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़े, और उसके बाद भी लाभ ना मिलने के बराबर हो.
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