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गायत्री मंत्र अर्थ और जाप विधि

गायत्री मंत्र अर्थ और जाप विधि हिन्दू शास्त्रों में बहोत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस मंत्र में कुल 24 अक्षर है. जो अलग अलग 24 देवी देवताओंका स्मरण बीज कहा जाता है. गायत्री मंत्र के 24 अक्षर को 4 वेदोंका सार भी कहा जाता है. इसी कारण गायत्री मंत्र को शास्त्रों में सर्व श्रेष्ट माना गया है. आज हम गायत्री मंत्र और उसका भावार्थ के बारे में विस्तार से जानेंगे.

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धी महि धियो यो नः प्रचो दयात्॥

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति और कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गायत्री मंत्र की उत्पत्ति विश्वामित्र द्वारा की गई थी. एक बार विश्वामित्र तपस्या में लीन थे. तब विश्वमित्र की तपस्या भांग करने के लिए, स्वयं इंद्रदेव मेनका का रूप लेकर उनकी तपस्या भांग करने की कोशिश की. इंद्र देव को महत प्रयास के बाद भी तपस्या भांग करने में, सफलता हासिल नहीं हो रही थी. दूसरी तरफ विश्वामित्र, बहोत प्रयास के बाद, अपना ध्यान केंद्रित कर तपस्या करने की कोशिश कर रहे थे. इस बिच विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र का जाप किया. जिसके बाद इंद्र देव विश्वामित्र की तपस्या भंग करने मे पूरी तरह से विफल हो गए.गायत्री मंत्र अर्थ और जाप विधि करने से ही विश्वामित्र अपनी तपस्या को पूर्ण करने में सक्षम रहे.

गायत्री मंत्र और इसका अर्थ क्या है ?

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्स वितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धी महि धियो यो नः प्रचो दयात्॥

ॐ के उच्चार से उत्पन्न हुए परम पूज्य प्रभु, “भू, भुवः, स्व” तीनो लोकों के प्रभु, मैं आपका मन के गहराई से ध्यान करता हु. “तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्” आप मेरे मस्तिष्क में प्रवेश कर वास करे और मुझे प्रेरणा दे.

गायत्री मंत्र के जाप से होने वाले लाभ

गायत्री मंत्र अर्थ और जाप विधि से होने वाले लाभ, इसकी निम्न लिखित सूचि दी गई है.

  1. नियमित गायत्री मंत्र का जाप करने से निर्धनता कम होती है.
  2. गायत्री मंत्र के प्रभाव से मानसिक शांति तथा मन एकाग्र करने की शक्ति मिलती है.
  3. रोजाना गायत्री मंत्र के जाप से रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है. तथा सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
  4. नियमित गायत्री मंत्र जाप से मन को काबू में रखना आसान होता है.

गायत्री मंत्र का जाप करने का विधि

गायत्री मंत्र अर्थ और जाप विधि कैसे करे ? इसकी निम्नलिखित सूची दी गई है.

  1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करे.
  2. सूर्य को तांबे के पात्र से जल चढ़कर अर्ध्ये देते समय गायत्री मंत्र का जप करे. गायत्री मंत्र का जाप करते समय रुद्राक्ष या तुलसी की माला ले सकते है.
  3. इष्ट देवी देवताओं की पूजा अर्चना करने के बाद 108 बार गायरी मंत्र का जाप मला से करे.
  4. गायत्री मंत्र का जाप हमेशा मन में ही करना चाहिए.

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